बुधवार, 17 जनवरी 2018

बुधवार, 10 जनवरी 2018

जश्ने आजादी

है आज जश्न आजादी है
है आज जश्न ए आजादी
स्वाधीनता का है दिवस
चल कर लें जश्न ए आजादी
दो बरस आठ माहऔर  दिवस ग्यारह ले लिये
देश मेरा एक है कानून इक  सबके लिए
भीमाने लिखकर संविधान यह मुनादी करवा दी
है आज जश्न-ए-आजादी
है आज जश्न-ए-आजादी
करें नमन हम सर्वप्रथम उन शेरों को उन वीरों को
कांटा जिन्होंने भारती की लिपटी हुई जंजीरों को
  निज वतन की आन पर घर घर ने थी कुर्बानी दी
है आज जश्न-ए-आजादी
है आज जश्न ए आजादी
स्वाधीन भारत  आज है इसे आगे ले कर जाना है
हिंदुस्तानी संस्कृति का परचम जग में फहराना है
हर ओर  इक ये शोर हो  भारत ने जग को रवानी दी
है आज जश्न-ए-आजादी
है आज जश्ने आजादी
                         प्रीति राघव चौहान

आंकड़े

मुझे अच्छे नहीं लगते आंकड़े
मुझे सच्चे नहीं लगते आंकड़े
जैसे होते हैं वैसे दिखते नहीं
जैसे अति साधारण चेहरा
बना दे फ़ोटो लैब की सहायता से शानदार
इसी तरह साधारण आंकड़े
बेजान आंकड़े भी
सुर्खियों में दिखते हैं चमकीले जानदार
क्यों ना आंकड़ों को घर के पीछे लगी खूंटी पर
टांग कर भूल जायें
चलो आंकड़े विहीन
एक शानदार भारत बनाएं
जहां यथार्थ ही हो स्वर्णिम इश्तेहार
            प्रीति राघव चौहान

सोमवार, 8 जनवरी 2018

पेड़ शहनाज़

घर

Website

                            वैबसाइट (डिजिटल पुराण)
  सुबह-सुबह सुबह एक अच्छे मूड में उठने के बाद सोचा कुछ लिखा जाये ।मन में आज अनेक विचारों के बादल उमड़-घुमड़ कर रहे थे ।पहले मैंने एक लेख लिखना शुरू किया। अभी लेख का पहले गद्यांश ख़त्म किया था अचानक एक कॉल  आई... ट्रिन.ट्रिन.....  मैंने गफलत में फोन उठाया ।
उधर से आवाज आई -"हैलो, हेलो क्या आप सुहासिनी भोंसले बोल रही हैं? "
मैंने कहा -"हां मैं सुहासिनी हूं ।"
उधर से फिर प्रश्न हुआ, "मैम मैं एक वाई जेड कंपनी से बोल रही
हूं । क्या आप क्या आपने किसी वेबसाइट का डोमेन बुक
कराया है?
मैंने कहा, "हां करवाया है ।"
"कहिए मैम,  क्या हम आपके लिए वेबसाइट डिजाइन कर सकते हैं?  हम बताएंगे,  आपको क्या क्या कैसे करना चाहिए।"उसने कहा ।
अब तक मेरी एकाग्रता पूरी तरह भंग हो चुकी थी । मैंने कहा -"आप फिलहाल फोन रखिए मैं अभी व्यस्त हूं ।"कहकर मैंने फोन काट दिया ।"
जैसे-तैसे मैंने अपने विचारों को फिर इकट्ठा किया और लिखने बैठी कि तभी दोबारा एक कॉल आई-
                "हेैलो क्या आप सुहासिनी भोसले बोल रही हैं? "
मैंने अपने आप को संभालते हुए कहा- "हां जी बोल रही हूँ ।"
"मैम आपने डोमेन बुक कराया था, क्या आप एक वेबसाइट बनवाना चाहेंगे ।"
मैंने कहा, " नहीं । जब डोमेन मैंने बुक किया है तो वेबसाइट भी मैं खुद ही बना लूंगी ।"
उधर से आवाज आई, "मैम,  हम प्रोफेशनल आईटी कंपनी से बोल रहे हैं । हम आपके लिए डिजाइन बना देंगे ।"
मैंने प्रत्युत्तर दिया, "देखिए फिलवक्त मुझे कोई वेब डिजाइन नहीं चाहिए और मैंने फोन काट दिया ।"

तीसरी बार फिर कॉल आया ट्रिन.. ट्रिन ।उठाने पर हेैलो और फिर एक नई लड़की की आवाज अबकी बार मैंने सीधा कहा
"देखिये मुझे कोई वेब डिजाइनिंग नहीं करवानी है ।मुझे कोई वेबसाइट नहीं बनवानी। मुझे जो करना होगा मैं स्वयं कर
लूंगी ।"यह कहकर मैंने फोन काट दिया और इस चक्कर में देखा तो ब्लॉग उड़ चुका था । जाने उंगली किस बटन पर पड़ी? कि लेख  बिल्कुल गायब ।
        जैसे तैसे मैंने अपने आप को संयत किया और सोचा क्यों ना एक कविता लिख दी जाए ।अब कविता लिखने बैठी और उधर से फिर कॉल आई। मैंने फोन काट दिया । जब आठवीं बार फोन आया तो मैंने गुस्से में कहा -"हां मैं सुहासनी भोंसले बोल रही हूं और इस दफा यदि तुमने फोन किया तो मैं 100 नंबर पर आपकी शिकायत करूंगी ।"
उधर से उस लड़की का स्वर था, " सॉरी मैम,  आपकी आवाज नहीं आ रही ।"

  हमने सोचा अब तो कोई फोन नहीं आएगा । इन फोनों के चक्कर में मेरी कविता भी ब्लॉग से रफा दफा हो गई ।मुझे समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है! आख़िरकार मैंने फोन एक तरफ बंद करके रख दिया और अपना कार्य रोक दिया ।
दोपहर में फिर एक फोन आया ।
इस बार फिर एक नई मोहतरमा बोलीं, "  हेलो मैम, आप सुहासिनी भोसले बोल रही हैं? रूबी दिस साइड! मैं  सुरक्षा वेबसाइट बिल्डर से बोल रही हूं ।हम वेब डिजाइन करते हैं ।क्या आपको एक वेबसाइट बनवानी थी? "
     मैंने कहा, "हां जी, बनवानी थी, रूबी जी ।"
   अब तक मैं बार-बार के फोन कॉल से तंग आ चुकी थी परंतु अब मैं उनकी तरह उनके सब्र का इम्तिहान लेना चाहती थी ।
    मैंने कहा-" हां जी पर सिग्नल  नहीं हैं आपकी आवाज  नहीं आ रही है ।"
उन्होंने काटकर दोबारा फोन किया... "हेैलो... सुहासिनी भोंसले..  क्या आपको सुनाई दे रहा है?"
  मैंने कहा ठंडी आह भर कहा, "हां जी सुनाई दे रहा है।"
      "क्या आपको वेबसाइट बनवानी थी ।", उधर से फिर प्रश्न किया गया ।"मैम हम आपके वेब डिजाइन में क्या सहायता कर सकते हैं, आप कैसी वेबसाइट बनवाना चाहेंगी? "
    मैंने कहा.. "देखिए रूबी जी,  मुझे दो बेडरुम चाहिए.. एक ड्राइंग कम डाइनिंग रूम । हां बाथरूम भी साथ अटैच होने
चाहिए  और आगे पीछे बालकनी हो ।ठीक है ना? आगे वाली बालकनी से इंद्रधनुष दिखाई देना जरूरी है! "
      उधर से वो हतप्रभ हो बोली, "मैम आप क्या बात कर रहे हैं?" मैंने हँसते हुए कहा, "आप ही कह रही हैं कि मुझे वेबसाइट बनानी है । तो मैं बता रही हूं मुझे एक ऐसी वेबसाइट बनानी है ।क्या आप मुझे ऐसी वेबसाइट बना देंगे जिसमें बालकनी से आगे इंद्रधनुष निकलता हुआ रोज नजर आए! "
अब उधर से खिसियाकर फोन काट दिया गया  और मैं अपने बच्चों सहित हंस हंस के लोटपोट हो गई ।
मैंने सोचा था अब तो फोन नहीं आएगा । परंतु यह मेरा वहम था छ: घंटे बाद शाम सात बजे के करीब फिर दोबारा फोन आया...
.    ..... "हैलो  मैं   अपर्णा बोल रही हूं ।मैं शिखा. कॉम से बोल रही हूं । हम वैब डिजाइन का काम करते हैं। हां जी बोलिए क्या मैं सुहासिनी जी से बात कर रही हूं...? "
      मैंने प्रतिउत्तर दिया, " हां जी आप सुहासिनी भोंसले  से ही बात कर रही हैं  ।कहिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं ।"

उधर से फिर  एक  महीन  सी  आवाज आई , "मैम हमारी कंपनी वेबसाइट बनाती है  क्या आपको एक वेबसाइट बनवानी थी? "

अब बारी मेरी थी। मैंने कहा, " अपर्णा जी  पहले आप मेरी एक बात का जवाब दीजिए  ।"
वह बोली, " सही है मैम  ।जरूर पूछिये ।"
"आप बतायें आप वेजीटेरियन हैं या नॉन वेजीटेरियन? "मैंने पूछा।
     "ऑफकोर्स, वेजीटेरियन ।"वह बोली ।
मैंने कहा, "पहले बताइए आपको कौन से सब्जी पसंद है? "
       उधर से  थोड़ी सी  हंसी के साथ  आवाज आई, " आलू ।"

मैंने फिर प्रश्नकिया, " और बताइए? सब्जी नहीं सब्जियां बताइए?

      "जी.. गोभी.. बैंगन ।"अपर्णा ने अचकचाते हुये कहा ।

  "ओहो मतलब....  बैंगन गोभी ।" मैंने थोड़ा सा चकित होते हुए पूछा,  "बैंगन गोभी  हद कर दी आपने....  बैंगन और गोभी भी कोई खाने की चीज होती है? "

      " नहीं मैम मुझे पसंद है  ।"वो सहज भाव से बोली ।
    मैंने  कहा  "क्या आपको नहीं पता कि  बैंगन और गोभी में कीड़े होते हैं?"
अब वह फिर  हंसी । वह बोली, "कीड़े तो हम निकाल देते हैं ।"

मैंने कहा, " ऐसे कैसे निकाल सकते हो? माना आपने निकाल दिए  कीड़े ... लेकिन कभी सोचा है  कि जब आप रेस्टोरेंट में जाकर खाना खाते हैं... या बाहर जाकर खाना खाते हैं तो इस
बात की क्या गारंटी है कि वह बैंगन और गोभी कीड़े वाली नहीं
बना देते । "
उसने शायद अपना सिर पकड़ कर कहा, " मैडम ऐसा तो मैंने सोचा ही नहीं ! "
      "ठीक है..  चलो ठीक है ।मान लिया कि आप वेजिटेरियन और नॉन वेजिटेरियन दोनों हैं।"अब मुझे उसे हैरान करने में मजा आ रहा था ।
     "नहीं मैडम मैं नॉन वेज नहीं खाती हूं ।"वह अपनी बात को जोर देकर बोली ।

  मैंने फिर जवाब दिया,  "ऐसे कैसे नहीं खाती हैं नॉन वेज????  गोभी भी आप खाती हैं  और बैंगन भी या तो आप मानिए कि आप नॉनवेज हैं,  तभी हम आगे बढ़ते हैं  ।"
      "ठीक है मैंने मान लिया  ।"वह लगभग सरैंडराना अंदाज़ में बोली ।
       मैंने फिर पूछा, "ठीक है , आपको पता है सब्जियों के लिए थैला  कहां मिलता है? "
वह बोली , "क्या कहा...   अब इसमें थैला कहां से आ गया ।"

    मैंने कहा , "मैडम मुझे सब्जी लेने जाना था और मैं थैला  ढूंढ रही थी ।और आप हैं  की वेबसाइट.. वेबसाइट कर रही  हैं ।"
     " ओह सॉरी "वह लज्जित थी ।
      मैंने कहा, "यह बताइए,  आपको मेरा नंबर कहां से मिला? "                                             वह बोली , "इंटरनेट से ।"
     मैंने कहा, "अब यह बताइए क्या इंटरनेट पर केवल मेरा ही नंबर है बेवकूफ बनाने के लिए ।सुबह से कितने कॉल आ चुके हैं...!!!  अभी तक आप लोग मेरा बैंड बजा रहे थे और अब मैं आपका। तो बताइए क्या अभी भी आप वेबसाइट बनाना चाहेंगे??? "
उसने हंस कर कहा, "आपसे बात करके अच्छा लगा!  सॉरी मैंने आपका समय व्यर्थ किया ।"
                            समाप्त

शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

सूरज बनना होगा

 बहुत से लोग हैं जिन्हें चांद चाहिए, चांद से कम कुछ भी नहीं! उन्हें क्या मालूम चांद पर चट्टानों के सिवा कुछ नहीं ।उन्हें क्या मालूम कि चांद पर परियाँ नहीं रहतीं। वहां कोई बुढ़िया नहीं है जिसकी दूर उड़ती हुई रुई को तुम ला कर दोगे और बदले में तुम्हें मिलेगा जादुई बक्सा । चांद पर पथरीली नुकीली चट्टानों के सिवा कुछ नहीं है । फिर भी तुम्हें चांद चाहिए? क्या जानते हो वहां हर कदम पर नापने होंगे छह पद? क्या जानते हो इस चांद ने कल्पना को निगला है? धरती पर चादर तान कर सोते हुए जो चांद बर्फ की चुस्की सा नजर आता है; वह दरअसल एक भ्रम है ।
 जागरण - जागो! अपने अंदर के सूर्य को जगाओ! अपनी पूरी क्षमता से उठ कर बैठो ।अपनी शक्ति को नव निर्माण में लगाओ। चांद को पाना है तो अपने अंदर के सूर्य को जागृत करना होगा और तुम पाओगे अनगिनत चांद।
कपोल कल्पना- हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम सिर्फ इच्छा करते हैं ।पाने की इच्छा और उस इच्छा की पूर्ति के लिए करते कुछ नहीं! सोए हुए सिंह के मुंह में हिरण स्वमेव प्रवेश नहीं किया करते । कपोल कल्पना से लक्ष्य हासिल नहीं हुआ करता ।
 लक्ष्य निर्माण -लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जागना जरूरी है सिर्फ जागने भर से ही काम नहीं चलेगा सही दिशा, सही दशा का होना भी जरूरी है ।चलिए माना आप जाग गए हैं ।सही अवस्था में भी हैं । दिशा भी आपको पता है ।आगे क्या?
http://pritiraghavchauhan.com कर्म हीन नर पावत नाही - अब समय है कर्मशीलता का । जागृत व्यक्ति जब सही दिशा बोध के साथ, पूरे मनोयोग के साथ अपने लक्ष्य हेतु कर्म क्षेत्र में उतरता है ।सहज ही उस पारितोषिक को पा लेता है जिसकी उसे तलाश है ।चांद को पाना है तो सूरज तो होना ही होगा । 
Listen to Tujhse Naraz Nahin Zindagi at http://wynk.in/u/1011W9Goek0ZOH on Wynk Music

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

मदर टेरेसा

मां मैं चाहती हूं
बनना मदर टेरेसा
 परन्तु  सोचती हूं यदि किसी
बीमार असहाय को
पिलाने जाऊं पानी
 पूछ बैठा समाज
कि उससे रिश्ता क्या है
तो कहो मां मैं क्या कहूंगी?? 
क्या सामाजिकता पर
इंसानियत की चोट करूंगी!!
माँ, कैसे बनी होगी
मदर टेरेसा सबकी मां
मेरे समाज में
ऐसे समाज में
जहां एक माँ से ही
लोग  उकता जाते हैं
मां के जाने पर
गंगा नहा आते हैं!!!
प्रीति राघव चौहान

बुधवार, 3 जनवरी 2018

यूँ ही कुछ

चाँद

उसे चांद से कम
कुछ नहीं चाहिए
उसे क्या मालूम
चांद पर चट्टानों के सिवा कुछ भी नहीं
उसे क्या मालूम चांद पर परिया नहीं है
नहीं मिलेगी वहां कोई बुढ़िया
जिसकी दूर उड़ती रुई को वह ला कर देगी
और बदले में उसे मिलेगा
लोहे का जादुई बक्सा
चांद पर पथरीली नुकीली
चट्टानों के सिवा कुछ भी नहीं
उसे क्या मालूम वहां वह
हर कदम पर नापेगी छःपग
ना चाहकर भी होगी छलनी
कदम-दर-कदम
उसे क्या मालूम ...
इस चांद ने हर कल्पना को निगला है
धरती की गोद में बैठे जो चांद
बर्फ़ की चुस्की सा नजर आता है
वो हकीकत  में पत्थर है
चांद तक जाने वाली सीढ़ियां
चमकीली सीढ़ियां
वापसी पर
मल्टीप्लैक्स थिएटर के एग्ज़िट जैसी
पीकदार भी नहीं होती ..
वह खो जाती है
चांद के पत्थरों में
कहां से लाऊं वो बरतन
वह पानी जिसमें दिखे उसे चाँद....
प्रीति राघव चौहान

सोमवार, 1 जनवरी 2018

माना के साल अभी नया नया सा है




माना कि साल अभी नया नया सा है
ये और बात कि चहूँओर बस धुँआ सा है

मेरा दर मेरी खिड़की बंद है बेज़ा नहीं
बाहर सर्द समन्दर का गहरा कुँआ सा है

भेज दी है दरख्वास्त आफताब को हमने 
पिघलना अभी कुछ शुरु वो हुआ सा है

बड़े शहर बड़ी सौर जश्न उससे भी बड़े
गाँव का बाशिंदा अब भी अनछुआ सा है

ज़िन्दगी क्या है झगड़ा दीवानी  सा है
तारीख़ पर तारीख़ हैं लगता सुना हुआ सा है 

ये बात और है कि पत्थर हो गया हूँ  मैं
देखकर के सुर्खियाँ खड़ा रुँआ रुँआ सा है
                           प्रीति राघव चौहान 






Khushiyon ki kunji

https://www.speakingtree.in/slideshow/खुशियों-की-कुंजी

जोर में बंधी आस्था

https://hindi.speakingtree.in/blog/डोर-में-बंधी-आस्था