मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

Guest Maina

क्या आपने सुना हुज़ूर 

मैना ने सर मुंडवाया है 

वो एक सैनिक की बेवा है

संग सैनिक का साया है 

पीछे उसके अतिथिगण

की भरी पुरी एक सेना है

जल्दी चल कर मिलें महोदय

आँसू ही उसके बैना है

चुप्पी है उसके  आसपास

आक्रोशित इक सन्नाटा है

इक तेज समन्दर अश्कों का

इस ओर बढ़ा सा आता है 

मान्यवर आप समझ लें

अब कार्यकाल भी थोड़ा है

वरद हस्त रख दें सर पर

अतिथि चेतक सा घोड़ा हैं

बारह वर्ष इन्हें  हमने 

बैसाखी सा आजमाया है

गुरुओं की धरती पर 

फिर कलंक का साया है

वंदेय गुरुजन हैं 

भिक्षा बदले देते शिक्षा

अब फर्ज़ हमारा बनता हैं

हम चलकर दें इनको दीक्षा 

गलत यदि हैं अतिथि ये 

समूल नाश इनका कर दें 

बहुत हलाल किये मस्तक

भाल अलग इनका कर दें

पर याद रहे. . मान्यवर

हर विद्यालय मरघट होगा

एक एक अतिथि के पीछे

मुण्डित सर का जमघट होगा

प्रीति राघव चौहान 





सोमवार, 5 फ़रवरी 2018

लाल दीवारें

लाल दीवारें /भीगी नहीं हैरान थी 

दीवारों से निकल 

 देखने आईं कुछ आँखें 

हो विकल बारम्बार     

कदम रह गये ठिठक कर उस द्वार 

जिसके पीछे बहुत सी

पलकें थीं प्रतीक्षारत 

क्या  दुनिया यूँ भी ख़त्म होती है.. 

अनंत यात्रा में ये तो बस पड़ाव था  

यात्रा जारी है 

वो बीज जो रोप दिये 

लाल दीवारों के भीतर 

छा जायेंगे चहुँ ओर

बन सुवासित इंद्रधनुष 

दीवारें स्वमेव हो जायेंगी सतरंगी 

़                                            

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

आज का विचार

नये  विचारों   को
ग्रहण करने के लिये
विचार शून्य होना जरूरी है ।

खुश हूँ

बात जब मैं की चली है तो चलो मैं भी कह दूँ 

तुम अपनी मैं में रहो मैं खुदी में खुृश हूँ 

तुमसे बेहतर न सही कमतर भी नहीं 

तुम अपने फन में मैं बेख़ुदी में खुश हूँ

ये सीढ़ियाँ हैं कहीं न खत्म होती हैं

मैं हर कदम पर खुश था खुश हूँ 

पहल कोई भी करे नेकनीयती  से करे,

वाहवाही हो या फतवे  सभी से खुश हूँ 

मैं जो हूँ जैसा हूँ रहूँगा सदा वही

रोया हूँ बहुत जब से तभी से खुश हूँ