शनिवार, 11 अगस्त 2018

अगले कुछ रोज...

शांत बहुत शांत है मन आज
अगले कुछ रोज
मैं और मेरी लेखनी होगी
रचेंगे किस्से
परियों के ना सही
कासिद की बातें
सक्षम के सफर में
अम्मा का इंतजार
कानून की नजर में
पापा से बहस
माँ से सहानुभूति
एक अलमारी से मुलाकात
छुटकी से मन की बात
बहुत सारे गीत
रचना प्रीत
अगले कुछ रोज
मैं और मेरी लेखनी होगी
रचेंगे किस्से...

सोमवार, 6 अगस्त 2018

नुक्ते

गुलाबी घन भी धूसर हो गये
बारिश में परिंदे बेपर हो गये
साथ चलने की कोशिश बहुत की
उनके नुक्तों से बेघर हो गए

15August

बात जब जश्न ए आजादी की चली है तो चलो हम भी कह दें..
तिरंगा शान है मेरी जान है मेरी
इसके रहते मुझे अब क्या कमी है
मुझे प्यारा है हिंदुस्तान जान से
इससे बढ़कर दूजा कोई नहीं है
       इन्हीं पंक्तियों के साथ मैं अपने आदरणीय गुरुजन, सम्माननीय मुख्य अतिथि महोदय व अपनी बहनों व भाइयों का अभिवादन करती हूँ। आज हम आजादी का बहत्तरवां जन्मदिन मना रहे हैं। भारत तो यूँ भी विविधताओं से भरा देश है। यहां विभिन्न संस्कृतियां पाई जाती है। अतः विभिन्न उत्सव मनाना लाजिमी है। लेकिन खुशियों के गुब्बारे हवा में उड़ाने से पहले, रंग और अबीर उड़ाने से पहले हमें याद रखना होगा उन बलिदान देने वाले वीरों को, वीरांगनाओं को जिन्होंने वतन ए आजादी के लिये अपनी जान की बाजी लगा दी ।
याद रहें वो वीर सपूत भी जो तिरंगे की आन बान शान के लिये सर्द हिमालय की चोटियों पर, तपते रेगिस्तान में और तटीय क्षेत्रों में दिन रात खड़े हैं।
   मेरे जेहन में एक सवाल लगातार उठता है आजादी तो हमें मिल गई परन्तु हम इस स्वतंत्रता का क्या सिला दे रहे हैं? कहीं हम दिशाहीन तो नहीं हो रहे? हमारा लक्ष्य क्या है? हम देश को क्या दे रहे हैं???
    हम एक सौ बत्तीस करोड़ देशवासी यदि ईमानदारी और नेक नीयत से अपने कर्म करें तो अमेरिका जैसे देशों को पीछे छोड़ सकते हैं।
     जो जहां है वहां अपने काम में ईमानदारी बरते। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में, सैनिक सेना में, शिक्षक, डॉक्टर सेवा में और व्यापारी व्यापार में.. प्रतिदिन हम अपने छोटे-छोटे कार्यों को सच्चाई से करेंगे तो मेरा प्यारा भारतवर्ष दुनिया भर में अपना परचम ऊंचा रख पायेगा।
याद रहे बंधुओं मैंने अपना घर ईमानदारी से साफ किया और कूड़ा पड़ोसी के घर के आगे कर दिया तो भी हम देश को कूड़ेदान बना देंगे।
     बाहर के मुल्कों में भारत भिखारियों के देश के नाम से जाना जाता है। हम कब तक जहालत में पड़े रहेंगे? आखिर कब तक??? एक सौ बत्तीस करोड़ लोग चाहें तो क्या नहीं कर सकते?
  मान देश का रखना बंधु
जान की क्या परवाह करे
वही है सच्चा हिंदुस्तानी
जो सच को सौ बार मरे
  आइये हम सभी मिलकर ये संकल्प लें हम अपने सभी कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा से निभाएंगे.. जय हिन्द ! जय भारत !
         प्रीति राघव चौहान