शनिवार, 23 सितंबर 2017

हर्फ़

हर्फ़ 

मैं रोज पढ़ती हूँ
पहले से आखिरी 
सफे तक
इक वही नाम
दिन रैन
सुबह शाम
और कहते हैं
लोग 
सफेद कागज पर
 हर्फ़ सफेद बांचना
बस तुम्ही को
आता है 
प्रीति राघव चौहान 

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