गिद्ध
मंदिर मंदिर बैठे पंडे
मंदिर बाहर बैठे वृद्ध
राम ढूंढते बन बन भटके
घर के ऊपर फिरते गिद्ध
खुशहाली को खुशी खा गई
सड़कों पर है बदहाली
दिल्ली से है दूर बहुत
जनता की दीवाली
मंदिर मंदिर बैठे पंडे
मंदिर बाहर बैठे वृद्ध
राम ढूंढते बन बन भटके
घर के ऊपर फिरते गिद्ध
खुशहाली को खुशी खा गई
सड़कों पर है बदहाली
दिल्ली से है दूर बहुत
जनता की दीवाली
बड़ा समुन्दर गोपी चन्दर
खेल निगल रही व्हेल
भूखे नंगे करें कब्बडी
ओलंपिक में फेल
हर धाम पर कोटि देव
हर देव के आगे थाली
जाने कहाँ गईं मढैया
घर के बाहर वाली
हर मंदिर को स्कूल बना दो
पंडों को दो फिर शिक्षा
हाथ तुम्हारे जगन्नाथ हैं
बहुत हो गई भिक्षा
लाख ऊँचे हों गुंबद मीनारें
इक इक कर ढह जाएंगी
कोटि कोटि शिक्षित जनता
भारत का भाग्य बनायेगी
प्रीति राघव चौहान
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