शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

सूरज बनना होगा

 बहुत से लोग हैं जिन्हें चांद चाहिए, चांद से कम कुछ भी नहीं! उन्हें क्या मालूम चांद पर चट्टानों के सिवा कुछ नहीं ।उन्हें क्या मालूम कि चांद पर परियाँ नहीं रहतीं। वहां कोई बुढ़िया नहीं है जिसकी दूर उड़ती हुई रुई को तुम ला कर दोगे और बदले में तुम्हें मिलेगा जादुई बक्सा । चांद पर पथरीली नुकीली चट्टानों के सिवा कुछ नहीं है । फिर भी तुम्हें चांद चाहिए? क्या जानते हो वहां हर कदम पर नापने होंगे छह पद? क्या जानते हो इस चांद ने कल्पना को निगला है? धरती पर चादर तान कर सोते हुए जो चांद बर्फ की चुस्की सा नजर आता है; वह दरअसल एक भ्रम है ।
 जागरण - जागो! अपने अंदर के सूर्य को जगाओ! अपनी पूरी क्षमता से उठ कर बैठो ।अपनी शक्ति को नव निर्माण में लगाओ। चांद को पाना है तो अपने अंदर के सूर्य को जागृत करना होगा और तुम पाओगे अनगिनत चांद।
कपोल कल्पना- हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम सिर्फ इच्छा करते हैं ।पाने की इच्छा और उस इच्छा की पूर्ति के लिए करते कुछ नहीं! सोए हुए सिंह के मुंह में हिरण स्वमेव प्रवेश नहीं किया करते । कपोल कल्पना से लक्ष्य हासिल नहीं हुआ करता ।
 लक्ष्य निर्माण -लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जागना जरूरी है सिर्फ जागने भर से ही काम नहीं चलेगा सही दिशा, सही दशा का होना भी जरूरी है ।चलिए माना आप जाग गए हैं ।सही अवस्था में भी हैं । दिशा भी आपको पता है ।आगे क्या?
http://pritiraghavchauhan.com कर्म हीन नर पावत नाही - अब समय है कर्मशीलता का । जागृत व्यक्ति जब सही दिशा बोध के साथ, पूरे मनोयोग के साथ अपने लक्ष्य हेतु कर्म क्षेत्र में उतरता है ।सहज ही उस पारितोषिक को पा लेता है जिसकी उसे तलाश है ।चांद को पाना है तो सूरज तो होना ही होगा । 

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