गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

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सैल्फी, मनपसन्द लोग लोगों के लाईक्स पीज़ा, बर्गर दुनिया भर की फ्लाइट फ्लाइटों की डिटेल कविता पर कॉपीराईट दिन रैन बे-पैन दुनिया लिखती है इस हसीन दुनिया में जानकी रंभा दिखती है कुछ मतवाले मोर्चा संभाले उर्वशी बन दिखते हैं रोज़ सैंकडों किस्से झूठे लाईक्स पर बिकते हैं कमैंट मिला तो खजाना मिला समझो लाईक करने का बहाना मिला समझो लाईक पर लाईक शिष्टाचार है जो भौंके बस अपनी उसका नहीं उपचार है बकबकियों से जनता करती शनि नमन आँख मींच कर दूजे पर करती तुरत गमन टैग चाहते सब यहाँ टैग ना होता कोय अपनी ढपली ठोककर खुशी खुशी हैं सोय भूले बिसरे सब यहाँ मिले किनारे बैठ जिन ढूंढा तिन पाइया गहरे फेसबुक पैठ प्रीति राघव चौहान

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